Thursday, February 26, 2009

प्रकृति ही संस्कृति हे...


हम सुबह में सरकारी गार्डन से फुल चुराके
भगवान् को अर्पित करते हे, चोरी से ही हमारी
पूजा होती हे, सरकारी फूल तोड़ने से अच्छा हे की,
फुल की पूजा करे...

जो धर्मं गुरु फूलो से सजाये व्याशपीठ के
ऊपर बिराजमान होके,
धर्मं की बाते करते हे वो खुद 'अधार्मिक' हे.

फूल प्रकृति हे,
धर्म को विकृत न करे,
संस्कृति का रक्षण करे।

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