Thursday, October 15, 2009


नूतन वर्षाभिनंदन
हे प्रभु,
नये साल की प्रार्थना स्वीकार करो,
इससाल वो करना जो आज तक हम नही कर सके हे !!!
“ नये सालमें हमे बचाना ”
उन अधार्मिक धर्मगुरुओ से जो खुद वासना-लालसा से पीडिंत हे...
उन नपुसंक राजनेताओ से जो हमे वापीस गुलाम बना रहे हे...
उन असफ़ल न्यायतंत्र से जो हमारी रक्षा नही कर सके हे...
उन भष्टाचारी सरकारीबाबु से जो मातृ-भूमि को बेच रहे हे...
उन कातिल दाक्टरो ओर दवाओसे जो रोग पेदा करते हे...
उन पाखंडी चेनलो से हो हमारा संसार तोड रहे हे...
उन नकली नोटो से जो हमे ही बेंकमे अपराधी बना रहे हे...
उन नकली खाना-पानी से जो हमे हर दिन जहर दे रहे हे...
उन नासमज़ आरक्षण से जो पूरे राष्ट्रकी एकता तोड रहे हे...

Monday, August 10, 2009

हे मनुष्य डर गया ?


स्वाइन फ्लु से डर गया ?

तुमने मेरे पक्षी को मारा मेने तुमको "सार्स" से मारा,
तुमने मेरी गाय को मारा मेने तुमको "मेड काऊ" से मारा,
तुमने मेरे सुवर को मारा मेने तुमको "स्वाइन फ्लु" से मारा,

जो ओक्सीजन(O2) से हाइड्रोजन(H2) की आग जलाता हे तु , हाइड्रोजन बोम्ब से जान लेता हे तु...
ऊस ओक्सीजन और हाइड्रोजन से पानी (H2O) बनाता हु मे, आग बुजाता हु मे, जीवन देता हु मे....

बच्चे, तुने पेदा होके तुरंत मेरा दूध पिया,
ओर बडा होके मेरे बच्चो का खून किया ?

वक्त हे, अभी भी सुधर जा,
मेरी प्रकृति को प्रदुषित मत कर,
मेरे धेर्य की परिक्षा मत कर,

मेने तुम्हे बनाया, तुम्ने मुजे नहि...

- कुदरत

Thursday, August 6, 2009

प्रथम पूजा प्रकृति की...


हर वृक्षमे प्राण हे,
हर वृक्षमे हरि हे,
हर वृक्षमे जीवन हे,
वृक्ष की कत्ल मतलब हमारे बच्चो की कत्ल
नपुंसक और् कमजोर सरकार की अपेक्षा मत रखो,
वृक्ष का जतन स्वयम-खुद करो क्युकि,
प्रकृति ही हमारी संस्कृति...

Saturday, June 27, 2009

दीवारों की रक्षा करते हे भगवान...


दीवारो को पान की पिचकारी स बचाने के लिए स्वयं भगवान को चोकिदारी करनी पड़ती हें।
मन्दिर में अलग अलग रहने वाले भगवान हमारे लिए एक हो गए।
दूनिया को धर्मं सिखाने वाले भारत देश को कोन ज्ञान देगा ?
शर्म से कहो हम हिंदू हें ...

Sunday, March 29, 2009

पक्षी बचाओ

हमारे भगवान का वाहन क्या हे ?
पक्षी
अगर भगवान का वाहन ही नही होगा तो ?
भगवान हमारे वहा केसे आ सकते हे ?


पक्षी बचावो

नॉन वेज छोड़ो

पक्षियो को पिंजरे में मत रखो

पक्षी बचाने में हमारा सहयोग दे

अन्तिमधाम ट्रस्ट, जूनागढ़, गुजरात

द्वारा पक्षियो के लिए चबूतरे बनाये जाते हे,

www.antimdham.com

www.viralbapu.com

Thursday, February 26, 2009

प्रकृति ही संस्कृति हे...


हम सुबह में सरकारी गार्डन से फुल चुराके
भगवान् को अर्पित करते हे, चोरी से ही हमारी
पूजा होती हे, सरकारी फूल तोड़ने से अच्छा हे की,
फुल की पूजा करे...

जो धर्मं गुरु फूलो से सजाये व्याशपीठ के
ऊपर बिराजमान होके,
धर्मं की बाते करते हे वो खुद 'अधार्मिक' हे.

फूल प्रकृति हे,
धर्म को विकृत न करे,
संस्कृति का रक्षण करे।

MY MOTHER & FATHER

जिन्दा माँ - बाप की सेवा कर लो,

मृत्यु के बाद तर्पण करने से कोई फायदा नही ।

*

हमारे माता पिता ही हमारे भगवान हे।

मन्दिर में भगवान नही हे वो तो हमारे माँ - बाप में ही हे।

*

मातृभूमि, मातृभाषा ओर माँ कभी भूल नही पाओगे ।

इसलिए कंप्यूटर में भी ' मधर - बोर्ड ' हे ।

*

आज हमारे देश में 'वृध्धा आश्रम' ओर 'गौ शाला'

हमारी संस्कृति के ऊपर कलंक हे।

*

साधू संतो के ये देश में हम माँ बाप को

भूल के भगवान की तलाश में भटक रहे हे।

*

आज हमारी भारतीय नारी " सास भी कभी बहु थी "

देख कर श्रवण की माँ बनने के लिए तैयार हे

मगर श्रवण की पत्नी बनने के लिए तैयार नही हे।